मेरा शिकायत न आपसे न भगवान से
मेरा शिकायत केवल उस हैवान से
दूरसे नजरपे नजर नजाने डाल रहा था
नजदिक होरही है ए होँठोँ कि मुस्कान से
मेरी ए जवानीमे लोहा जैसा जवान मिला
साथ देरहा है खेतोँपे शुक्रगुजरा किसान से
वो तो भवँरा निकला मुझे मालुम नहिँ था
जिन्दगीमे ऐसा क्युँ पुछ रही हुँ वैमान से
जिसने ए तोहफा दिया जिन्दा वो मरगया
जल रहा हुँ आज आनेवाली पहेचान से ।।
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