गजल– Manandhar abhagi
मजदुरके खुनपसिनेसे बनाया ताजमहल
उन्हीके यादोँमे आज बनवाया ताजमहल
कुछनहिँ मागा था वस प्यारकी भिख मागाथा
बदलेमे मिलगया मौत फगत पाया ताजमहल
अपना हि औलादको जिसने जनम दिया
उसिने गला घोँटडाला याद दिलाया ताजमहल
रातकी सन्नाटामे रोज रो रहाहै ताजमहल
बहती हुई आँखोमे आँशु दबाया ताजमहल
अद्भूत प्यारकी कहानी जिते जिते जला डाला
वादमे उसिके नामपे लिखाया ताजमहल ।।
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